तनाव से केसे बड़ जाता हे सोराइसिस जानिए —
हम व्यावहारिकता में सोराइसिस को जानने की कोशिश करते हे ओर उससे राहत पाने के तरीक़े धूँदते हे ,
वास्तव में
ये एक ओटोईम्म्यून डिसॉर्डर हे,
ये के सोराइसिस शरीर में स्वत होने वाली त्वचा की बीमारी हे,
मगर कैसे ?
इसको यो समझने की कोशिश करते हे ,के माना जाय किसी देश की सेना अगर अपने ही देश के अन्य तंत्र को देशद्रोही मानने लगे ओर वो उसे कुचलने लगे ,यानी आपसी विद्रोह होने लग जावे तो सोचने की बात हे की उस देश का , उस देश के रक्षा कवच का क्या हाल होने लगेगा .
किसी तरह हे उसे शांत किया जवेगा फिर किसी बात पे वो विद्रोह करने लगेंगे ,ओर फिर उस देश के हालत बिगड़ेंगे .
ठीक वेसे ही शरीर का सुरक्षा तंत्र (यानी हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमाता जो शरीर को बाहरी दोषों इंफ़ेक्सन जीवाणु वाइरस etc से बचाती हे ,जब ये क्षमता कमज़ोर हो जाती हे तो शरीर में बाहरी जीवाणु etc प्रवेश कर बीमारी पैदा कर देते हे ओर रोग प्रतिरोधक क्षमता अगर सही तरीक़े से काम ना कर आपस में ही लड़ने लग जाए ओर एक दूसरे को नुक़सान पहचाने लग जाए तो सराययसिस जेसे ओटोईम्म्यून रोग पैदा होने लग जाते हे .
अब ये जानने की कोशिश करना चाहिए कि केसे रोका जाए इस विद्रोह को यानी इम्म्यून सिस्टम को केसे सही चलाया जाए ,यानी सराययसिस को केसे ठीक रखा जाए केसे बचा जाए .
आयुर्वेद कहता हे
हम अपने आहार विहार ओर विचार शक्ति को सही कर ले तो शरीर पूर्ण निरोगी रहेगा ,
ओर यही बात आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी कहता हे .
हमारा इम्यून सिस्टम का सही होना पूरी तरह इसी नियम पे निर्भर हे ,
तनाव ग़ुस्सा या अवसाद होने पर हमारा शरीर इससे होने वाले नुक़सान से बचाने के लिए कोर्टिसोल नामक हरमोन पैदा करता हे,
एक स्वस्थ शरीर में इनकी अवशएकता नहीं होती परंतु तनाव से होने वाले नुक़सान की भरपाई के लिए ये बनते हे ,
इनका काम ख़त्म होने के बाद ये व्यर्थ ही ब्लड का हिस्सा बन जाते हे ओर हमारे इम्यून सिस्टम के कार्य को बदित करने लग जाते हे ,
मतलब हम तनाव गुसा चिंता करके इन्हें न्योता देते हे की आओ हमारे शरीर को रोगप्रतिरोधक क्षमता को डिस्टर्ब करो ,
यही से रोज़ बेवजह निकलने वाले इस तरह के हार्मोंस से इम्मनसिस्टम प्रभावित होता हे ओर वो अपने कार्य को प्रभावित कर ग़लत दिशा में कार्य करने लग जाते हे
तनाव इम्यून सिस्टम को दो तरह से प्रभावित करता हे
पहला
अनावश्यक सुजन लाकर कोशिकाओ को नुक़सान पहुँचाकर
दूसरा
इम्यून सिस्टम को दबाकर ( रक्त की लिंफोसाइट्स को कम करके )
परिणाम इस तरह की औटोईमयून डिसॉर्डर पैदा हो जाते हे .
सोराइसिस भी एक औटोईम्मने डिसॉर्डर हे ,इसीलिए ठीक होने के बाद भी यदि तनाव में रहे तो सोराइसिस फिर से निकलने लगता हे या बड जाता हे
इशलिए तनाव ग़ुस्सा चिड़चिड़ापन को दूर रखे
ख़ुश रहे स्वस्थ रहे
रोज़ सुबह उठकर योग करे
संगीत तनाव को दूर करने का सबसे अच्छा तरीक़ा हे
योग प्राणायाम रोज़ करे
सोराइसिस की अधिक जानकारी ओर सही इलाज के लिए सम्पर्क करे
पुनर्नव आयुर्वेदा स्किन सेंटर कोटा वर्षों से सोराइसिस का इलाज करता आ रहा हे ,यहा आयुर्वेद की विशेष थेरेपीज के द्वारा इलाज किया जता हे .
सोरासिस के कारणो को ख़त्म करने के साथ लक्षणो को ख़त्म किया जता हे
पुनर्नव आयुर्वेद स्किन सेंटर
826 mahaveer nagar 2
कोटा राजस्थान
9587066074


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